।।समाहरणालय, अररिया।। (जिला जन सम्पर्क कार्यालय) -:: प्रेस विज्ञप्ति ::- दिनांक- 15 अप्रैल 2021, —-कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए पास लेना अनिवार्य— “”फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग, बिहार के सचिव श्री एन श्रवण कुमार द्वारा बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक आहूत की गई। अररिया जिले से वर्चुअल बैठक में कार्यालय वेश्म से जिलाधिकारी श्री प्रशांत कुमार सीएच, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारी द्वारा भाग लिया गया। बैठक में कृषि विभाग, बिहार सरकार के निदेशक श्री आदेश तितरमारे ने बताया कि सरकार द्वारा 10 जून 2019 को प्रत्येक जिले के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है। जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि पदाधिकारी हैं। वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पूर्व इस समूह की बैठक किया जाना है। इस समूह के कार्य में खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पश्चात खेतों में अवशेष पराली को जलाने से रोकना मुख्य कार्य है। उन्होंने कहा कि फसल कटनी के लिए जब से कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग बढ़ा है तब से कृषकों द्वारा फसल अवशेष को खेत में जलाने की प्रवृत्ति विकसित हुई है। जिससे मिट्टी की उर्वरकता एवं पर्यावरण के लिए यह बेहद नुकसानदेह है। यह समस्या पहले शाहाबाद क्षेत्र में उत्पन्न हुई और अब धीरे-धीरे पटना, सारण होते हुए राज्य के दूसरे जिलों में में भी फैल गया है। कृषि विभाग ने अब कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए उसके मालिक/ड्राइवर को अपने जिला परिवहन कार्यालय से पास/निबंधन अनिवार्य कर दिया गया है। उन्हें पास इस शर्त के आधार पर दी जाएगी कि जिन खेतों में वे फसल कटनी करेगी, उन खेतों में फसल अवशेष (पराली) नहीं जलाया जाएगा। यदि उन खेतों में फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलने पर उनके पास को रद्द कर दिया जाएगा। बिना पास का कोई भी कंबाइंड हार्वेस्टर नहीं चलेगा। साथी ही जिस किसान द्वारा अपने क्षेत्र में पराली जलाया जाएगा उन किसानों का कृषि विभाग के (डीबीटी) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पोर्टेल पर 3 साल तक के लिए पंजीकरण से वंचित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष 2020 में 2138 किसानों को चिन्हित किया गया है। जिनमें सबसे अधिक रोहतास के 528 किसान शामिल हैं। उन सबों को 3 साल तक के लिए कृषि योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है। बैठक को संबोधित करते हुए कृषि विभाग, बिहार के सचिव द्वारा कहा गया कि बिहार में लगभग 2000 कंबाइंड हार्वेस्टर है। कैमूर, बक्सर, नवादा, रोहतास, गोपालगंज एवं भोजपुर में इसकी संख्या सर्वाधिक है। उन्होंने सभी जिलाधिकारी से प्रखंड एवं पंचायतवार कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार के माध्यम से पराली जलाने की घटना को चिन्हित करवाने का निर्देश दिया। साथ वैसे किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक, जो पराली जलाने की सूचना ससमय उपलब्ध नहीं कराते हैं, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि कंबाइंड हार्वेस्टर के द्वारा फसल के ऊपरी भाग को ही काटा जाता है। नीचे का हिस्सा खेत में रह जाता है। कंबाइड हार्वेस्टर के चालक ज्यादातर पंजाब से सिख कर आए हैं और उनके द्वारा यह गलत सुझाव दिया जाता है कि खेत के फसल अवशेष (पराली) को जलाने से जमीन की उर्वरकता कि शक्ति बढ़ जाती है। जबकि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट जाती है एवं पर्यावरण प्रदूषित होता है। कंबाइंड हार्वेस्टर के साथ एक और मशीन एस्ट्रो मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) जोड़ा जाता है जो पीछे से फसल अवशेष की कटनी करते जाता है। यहां के कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों द्वारा एसएमएस नहीं जोड़ा जाता है जिसके कारण फसल अवशेष नहीं कट पाता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष के साथ खेत की जुताई भी की जा सकती है। कृषि विश्व विद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रयोग किया गया है कि फसल अवशेष रहने पर भी अगली खेती की जा सकती है। और वहां कुछ खास क्षेत्रों में विगत 10 वर्षों से ऐसी खेती की जा रही है। उन्होंने सभी जिलाधिकारी को इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए प्रचार प्रसार कराने का सुझाव दिया गया।
Start : 16/04/2021 End : 16/04/2021